history of india
मई 05, 2021
भारत के वाइसराय , viceroy in india during british rule
भारत के वाइसराय
इस पोस्ट में ब्रिटिश सम्राज्य के अधीन भारत के विभिन्न वाइसरायों ( 1856 - 1947 ई. ) (viceroy in india during british rule ) का वर्णन किया गया है। अगर आप विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं जैसेकि SSC CGL,SSC CHSL,RRB NTPC, MTS,CPO, ,SI इत्यादि लिए तैयारी कर रहे हैं तो इसमें से सवाल पूछा जा सकता है।
लॉर्ड कैनिंग (1856 -1862 ई. )
यह ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा नियुक्त अंतिम गवर्नर जनरल तथा ब्रिटिश सम्राट द्वारा नियुक्त भारत का प्रथम वायसराय था। इस बाइस राय के समय में इंडियन हाई कोर्ट एक्ट पारित हुआ जिसके द्वारा 1856 ई. में बम्बई, कलकत्ता तथा मद्रास में एक एक उच्च न्यायालय की स्थापना की गई ।
इसी बाइसराय के समय में 1856 ई. में विधवा पुनर्विवाह अधिनियम पारित हुआ था।
इसी वाइसराय के समय में 1858 ई. में मैकाले द्वारा प्रारूपित दंड संहिता को कानून बना दिया गया था। तथा 1859 ई. को अपराध विधान संहिता लागू हुई थी।
इसी वाइसराय के समय में राज्य हड़प ( Doctorine of Lapse ) नीति को समाप्त कर दिया गया था।
तथा अंत में 1861 ई. को इंडियन काउंसिल एक्ट पारित हुआ ब पोर्टफोलियो प्रणाली को लागू किया गया था।
लॉर्ड एल्गिन (1862 -1864 ई. )
इस वाइसराय का कार्यकाल बहुत संक्षिप्त रहा था। इसने बहावी आंदोलन का दमन किया और 1864 ई. में हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में उसकी मृत्यु हो गई थी।
सर जॉन लॉरेंस (1864 -1869 ई. )
लार्ड एल्गिन की मृत्यु के बाद सर जॉन लॉरेंस भारत का नया वाइसराय बनकर आया। इसके कार्यकाल में भूटान का महत्वपूर्ण युद्ध हुआ।
अफगानिस्तान में आहस्तक्षेप की नीति अपनाई। इस वाइसराय ने जॉर्ज कैम्पबेल के नेतृत्व में एक अकाल आयोग का गठन किया तथा 1856 ई.को इसके द्वारा भारत एवं यूरोप के बीच प्रथम समुद्री टेलीग्राफ सेवा शुरू की गई थी।
लॉर्ड मेयो (1869 -1872 ई. )
इस वॉइस राय ने 1870 ई, में वित्त का विकेंद्रीकरण किया तथा 1872 में एक कृषि बिभाग की स्थापना की। इसने अजमेर में अपने नाम से एक कॉलेज की स्थापना की थी।
1872 ई, में एक अफगान ने अंडमान में चाकू मारकर लॉर्ड मेयो की हत्या कर दी थी।
लॉर्ड नार्थब्रुक (1872 -1876 ई. )
पंजाब का प्रसिद्ध कूका आंदोलन इसी वाइसराय केस मे की घटना है।
लार्ड नार्थ ब्रुक ने यह घोषणा की, थी, कि " मेरा उद्देश्य करों को हटाना तथा अनावश्यक वैधानिक कार्यवाहियों को बंद करना है।"
इस वाइसराय के समय में बंगाल तथा बिहार में भयानक अकाल पड़ा था।
लॉर्ड लिंटन (1876 -1880 ई. )
1 जनवरी,1877 को, ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया को केसर - ए - हिन्द की उपाधि से सम्मानित करने के लिए इस वाइसराय ने दिल्ली दरबार का आयोजन किया था।
यह एक प्रसिद्ध साहित्यकार उपन्यासकार तथा निबंध लेखक था। लॉर्ड लिंटन ने अलीगढ़ में एक मुस्लिम एंग्लो प्राच्य महाविद्यालय की स्थापना भी की थी।
इसके समय में मद्रास हैदराबाद पंजाब तथा मध्य भारत में भयानक अकाल पड़ा था। लाड लिंटन ने रिचर्ड स्ट्रैटजी की अध्यक्षता में एक आकाल आयोग की स्थापना की थी।
इसने सिविल सेवा परीक्षाओं में प्रवेश की अधिकतम आयु 19 वर्ष से बढ़ाकर 21 वर्ष की थी।
इसी बाइस राय के समय मे 1878 ई को शस्त्र रखने तथा व्यापार करने के लिए लाइसेंस को अनिवार्य बनाने का अधिनियम पारित हुआ था।
मार्च 1878 में लिंटन ने भारतीय समाचार पत्र अधिनियम पारित कर भारतीय समाचार पत्रों पर कठोर प्रतिबंध लगाए थे।
लॉर्ड रिबन (1880 -1884 ई. )
सन् 1878 ई में लॉर्ड लिंटन लगाए गए समाचार पत्रों पर कठोर प्रतिबंधों को लॉर्ड रिपन ने बहाल करते हुए 1882 ई वरनाक्यूलर प्रेस एक्ट को समाप्त किया था ।
इसी बाइस राय के समय में भारत मे पहली बार 1882 ई में नियमित जनगणना की शुरुआत की गई थी।
लॉर्ड लिंटन के फैसले को बदलते हुए लॉर्ड रिपन ने सिविल सेवा में प्रवेश की आयु को 19 वर्ष से बढ़ाकर फिर से 21 वर्ष कर दिया था।
लॉर्ड रिपन के द्वारा ही 1882 ई में प्रथम कारखाना अधिनियम लाया गया था।
लॉर्ड रिपन के समय में शैक्षणिक सुधारों के अंतर्गत विलियम हंटर की अध्यक्षता में एक आयोग गठित किया गया था। फ्लोरेंस नाइटिंगेल द्वारा लॉर्ड रिपन को भारत के उद्धारक की संज्ञा दी गयी थी।
लॉर्ड डफरिन (1884 -1888 ई. )
इस वाइसराय के शासनकाल की सबसे महत्वपूर्ण घटना कांग्रेस की स्थापना थी | कांग्रेस की स्थापना 28 दिसम्बर 1885ई. को ए ओ ह्यूम के नेतृत्व बम्बई में हुई थी |
इस बाइसराय के समय में तीसरा एंग्लो बर्मा युद्ध हुआ था। जो 1885 से 1888 ईं के बीच चला। था और वर्मा को अंतिम रूप से अग्रेजी राज्य में मिला लिया गया था।
लॉर्ड डफरिन के शासनकाल में बंगाल टेनेन्सी एक्ट , अवध टेनेन्सी एक्ट तथा पंजाब टेनेन्सी एक्ट को पारित किया गया था।
लॉर्ड लैन्सडाउन (1888 -1894 ई. )
इस बाइसराय के कार्यकाल में 1891 ई में दूसरा कारखाना अधिनियम लाया गया जिसमें महिलाओं को ग्यारह घंटे प्रति दिन से अधिक काम करने पर प्रतिबंध लगाया गया और एक हफ्ते में एक दिन की छुट्टी की का प्रावधान किया । इसी बाइसराय के कार्यकाल में भारत और अफगानिस्तान के मध्य एक सीमा रेखा खींची गयी थी जिसका नाम डूरण्ड रेखा गया था।
लॉर्ड एल्गिन द्वितीय (1894 -1899 ई. )
लॉर्ड एल्गिन द्वितीय के समय में 1895 से लेकर 1898 में पंजाब एवं मध्यप्रदेश , मध्य उत्तर प्रदेश और बिहार के कुछ इलाकों में भयंकर सूखा पड़ा था।
लॉर्ड एल्गिन द्वितीय का एक कथन जो आज भी हर भारत वासी को पीड़ा देता है कि " भारत को तलवार के बल पर विजय किया गया था और तलवार के दम पर ही इसकी रक्षा की जायेगी "
लॉर्ड कर्जन (1899 -1905 ई. )
लॉर्ड कर्जन के कार्यकाल का सबसे महत्वपूर्ण एवं भारत विरोधी कार्य था ,1905 में बंगाल का विभाजन।
लॉर्ड कर्जन ने अपने कार्यकाल में तीन महत्वपूर्ण आयोगों का गठन किया था। जिसमें से सर कालीन स्कार्ट मौनक्रीक की अध्यक्षता में 1901 में बनाया गया सिंचाई आयोग , 1902 ई. मैं सर एंड्रयू फ्रेजर की अध्यक्षता में बनाया गया पुलिस आयोग तथा सर टॉमस रैले की अध्यक्षता में बनाया गया विश्व विद्यालय आयोग शामिल था।
लॉर्ड कर्जन ने 1904 ई मैं भारतीय विश्वविद्यालय अधिनियम पारित किया था
लॉर्ड कर्जन ने सर एंटनी मैकडोनाल्ड की अध्यक्षता में एक आकाल आयोग का गठन भी किया था।
इसी के कार्यकाल के दौरान कलकत्ता में विक्टोरिया मेमोरियल हाल का निर्माण हुआ ।
सन् 1904 ई में लॉर्ड कर्जन ने प्राचीन स्मारक परीक्षण अधिनियम पास करके भारतीय पुरातत्व विभाग की स्थापना की एवं पहली बार ऐतिहासिक इमारतों की सुरक्षा एवं देख रेख के लिए ध्यान दिया ।
लॉर्ड कर्जन ने सैन्य अधिकारियों के प्रशिक्षण के लिए क्वेटा में एक कॉलेज, की स्थापना भी की थी।
लॉर्ड मिन्टों द्वितीय (1905 -1910 ई. )
लॉर्ड मिन्टों द्वितीय के कार्यकाल की सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं में मुस्लिम लीग की स्थापना थी। मुस्लिम लीग का गठन सन 1905 ई़ में ढाका में आगा खां और सलीमुल्ला खां ने किया था |
मुस्लिम लीग के गठन के बाद सन 1907 ई़ में सूरत अधिवेशन में कांग्रेस का विभाजन हो गया था |
1909 ई. में मार्ले मिंटो सुधार लाया गया था |
लॉर्ड होर्डिंग द्वितीय (1910 -1916 ई. )
इसके इसमें कई प्रमुख घटनाओं में ब्रिटेन के सम्राट जॉर्ज पंचम का भारत आगमन , दिल्ली में एक भव्य दरबार का आयोजन, बंगाल विभाजन रद्द करने की घोषणा एवं भारत की राजधानी कोलकाता से दिल्ली स्थानांतरित करने की घोषणा थी |
चार अगस्त 1914 को होर्डिंग, के, समय में प्रथम विश्व युद्ध प्रारंभ, हुआ एवं एनी बेसेंट ने होम रूल लीग की स्थापना की 1916 में लोड होर्डिंग को बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, का कुलपति नियुक्त किया गया था।
क्रांतिकारी रास बिहारी बोस द्वारा लोड होली पर दिल्ली में बम फेंका गया जिससे वे घायल, हो गया था।
लॉर्ड चेम्सफोर्ड (1916 -1921 ई. )
लॉर्ड चेम्सफोर्ड के के कार्यकाल की प्रमुख घटनाओं में
(1) 1916 ई में धोंडो केशव कर्वे द्वारा पूना में महिला विश्वविद्यालय की स्थापना
(2) प्रसिद्ध जलियावाला बाग हत्याकांड का होना
(3) 1919 ई मे रोलेट एक्ट का पास होना
(4) 1917 ई में शिक्षा पर सैंडलर आयोग की नियुक्ति
(5) खिलाफत आंदोलन (1920- 21)
(6) गांधी जी का 1920 ई में सत्याग्रह असहयोग आंदोलन की शुरुआत
(7) तृतीय अफगान युद्ध
लॉर्ड रीडिंग (1921 -1926 ई. )
इस वॉइसरॉय के समय के मुख्य घटनाओं में
(1) प्रिंस ऑफ वेल्स ने नवम्बर 1921 में भारत की यात्रा की
(2) 1921 में भारत के दक्षिण पश्चिमी समुद्र तट पर मोपला विद्रोह हुआ।
(3) महात्मा गाँधी जी द्वारा पहला असहयोग आंदोलन चलाया गया |
(4) चौरीचौरा घटना
(5) 1922 में विश्व भारती विश्वविद्यालय ने कार्य करना आरंभ किया, दिल्ली तथा नागपु विश्वविद्यालय की स्थापना भी हुई।
(6) एम् एन रॉय द्वारा 1921 में भारतीय कोम्युनिस्ट पार्टी का गठन हुआ।
(7) 1924 ई में कानपुर में अखिल भारतीय साम्यवादी दल का गठन हुआ |
(8) 1925 में काकोरी रेल कांड इसी वाइसराय के समय की घटना है।
(9) पहली बार इसी वाइसराय के समय में उच्च पदों पर बहाली के लिए भारतीय तथा यूरोपीय को समानता का दर्जा दिया गया तथा प्रशासनिक सेवाओं में उम्मीदवारों के चयन के लिए दिल्ली और लंदन में एक साथ प्रतियोगिता परीक्षा के आयोजन की व्यवस्था की गयी|
लॉर्ड ईरविन (1926 -1931 ई. )
इस वाइसराय के समय की मुख्य घटनाएं
(1) 1928 ई में साइमन कमीशन भारत आया।
(2) महात्मा गांधी द्वारा 6 अप्रैल 1930 को सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत हुई ।
(3) 1929 ई में दिल्ली के एसेंबली हॉल में बम फेंका गया।
(4) 1929 ई में प्रसिद्ध लाहौर षडयंत्र
(5) क्रांतिकारी जतिन दास की 64 दिन की भूख हड़ताल के बाद जेल में मृत्यु हुई।
(6) 1929 ई में कांग्रेस ने लाहौर अधिवेशन में पूर्ण स्वराज का लक्ष्य घोषित किया |
(7 ) नवम्बर 1930 में लंदन में प्रथम गोलमेज सम्मेलन का आयोजन हुआ |
(8) 5 मार्च 1931 को गांधी-इरविन समझौते पर हस्ताक्षर हुए और साथ ही सविनय अवज्ञा आंदोलन को वापस लिया गया।
लॉर्ड बिलिंगडन (1931 -1936 ई. )
लॉर्ड बिलिंगडन के समय में सात सितंबर से लेकर एक दिसंबर 1931 तक द्वितीय गोलमेज सम्मेलन का आयोजन जो लंदन में हुआ था इस सम्मेलन में महात्मा गांधी जी ने कांग्रेस का प्रतिनिधित्व किया था।
इसी बाइस राय के कार्यकाल में 1932 में रैम्जे मैकडोनल्ड ने प्रसिद्ध सांप्रदायिक अधिनिर्णय की घोषणा की।
इसी बाइस राय के कार्यकाल में महात्मा गाँधी एवं भीमराव आंबेडकर के बीच मैं 26 सितंबर 1932 को पूना समझौता हुआ।
1935 ई भी मैं भारत सरकार अधिनियम पास हुआ |
लॉर्ड लिनलिथगो (1936 -1944 ई. )
इसी बाइस राय के कार्यकाल में एक सितंबर 1940 को द्वितीय विश्वयुद्ध का आरंभ हुआ
इसके समय में पहली बार चुनाव कराए गए | चुनावों के परिणाम राष्ट्रीय कांग्रेस के पक्ष में रहे| कांग्रेस ने 11 में से 8 प्रान्तो में अपनी सरकार बनाई।
इसी बाइस राय के समय में अप्रैल 1940 में सुभाष चंद्र बोस ने फॉरवर्ड ब्लॉक नाम का एक संगठन बनाया।
9 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत हुई | मुस्लिम लीग का कराची अधिवेशन और 1945 ई में बंगाल में भयंकर अकाल इसी वायसराय के समय की घटनाएं है।
लॉर्ड वेवेल (1944 -1947 ई. )
वेबेल के समय में 1945 ई में शिमला समझौता हुआ | इस समझौते में कांग्रेस तथा मुस्लिम लीग के प्रतिनिधियों ने भाग लिया था |
वेबेल के समय में तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री एटली ने भारत को जून 1948 के पहले स्वतंत्र करने की घोषणा की थी। वेबेल के समय में 1946 ई में संविधानसभा का चुनाव , प्रथम अंतरिम सरकार का गठन तथा नौसेना विद्रोह हुआ था
लॉर्ड माउंटबैटन (1947 -1948 ई. )
लॉर्ड माउंटबैटन ब्रिटिश भारत का अंतिम वायसराय तथा स्वतंत्र भारत का प्रथम गवर्नर जनरल था । लॉर्ड माउंटबैटन ने 3 जून 1947 को घोषणा की कि "भारत और पाकिस्तान के रूप में भारत का बिभाजन ही समस्या का हल है।"
लॉर्ड माउंटबैटन के समय में ही 4 जुलाई 1947 को भारतीय स्वतंत्रता विधेयक ब्रिटिश संसद में प्रधानमंत्री एटली द्वारा प्रस्तुत किया गया जिसके अनुसार भारत और पाकिस्तान दो स्वतंत्र राष्ट्रों का निर्माण होने की बात कही गई थी और 18 जुलाई 1947 को ब्रिटिश संसद ने इसे पारित किया था |
चक्रवर्ती राजगोपालाचारी (1948 -1950 ई. )
15 अगस्त 1947 को भारत के आजाद होने के बाद वाइसराय का पद समाप्त कर दिया गया था तथा गवर्नर जनरल का पद सृजित किया गया जिस कारण स्वतंत्र भारत के पहले गवर्नर जनरल लॉर्ड माउंटबैटन थे। जो 21 जून 1948 तक भारत के गवर्नर जनरल रहे इसके बाद प्रथम भारतीय मूल के प्रथम गवर्नर जनरल चक्रवर्ती राजगोपालाचारी की इस पद पर नियुक्ति हुई। चक्रवर्ती राजगोपालाचारी की नियुक्ति इस पद पर 26 जनवरी 1950 तक रही क्योंकि उसके बाद भारतीय संविधान के लागू होने के कारण गवर्नर जनरल का पद समाप्त हो गया और संवैधानिक प्रमुख के रूप में राष्ट्रपति की नियुक्ति संविधान सभा द्वारा की गयी। क्योंकि 26 जनवरी 1950 तक संविधान सभा को ही संसद की शक्ति प्राप्त थी |
आज की पोस्ट थी ब्रिटिश सम्राज्य के अधीन भारत के विभिन्न वाइसरायों ( 1856 - 1947 ई. ) Governor-General of India के बारे में , इस में से एक या दो प्रश्न बिभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं जैसेकि JOA, TGT TET, JBT TET, TGT commision,Nursing, SSC, IBPS Clerk, IBPS PO, RBI, TET, पटवार , सेना भर्ती, पुलिस भर्ती इत्यादि में पूछे जा सकते हैं आप इस पोस्ट "HP GK most important questions and Answers , भारत के वाइसराय , Different viceroy of Pre independent India" के बारे में अपनी राय कमेंट बॉक्स में कमेंट करके दे सकते है |
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